Saturday, 11 April 2015

मौसम बीमा अपर्याप्त, किसानों में असंतोष



0 किसानों का कहना फलस खराब होने पर भी खाद बीज की रकम मिलती है वापस
रायपुर। राज्य में बांटे गए मौसम बीमा भुगतान से किसानों का मोहभंग हो रहा है। उनका आरोप है कि मौसम बीमा में जबरिया हजार रुपए प्रति हैक्टेयर मौसम बीमा शुल्क काटा जाता है जबकि फसल खराब होने के बाद भी मात्र 10 हजार प्रति हैक्टेयर का भुगतान किया जाता है जो उनके द्वारा उत्पादित फसल का लगभग दशवां  हिस्सा होता है।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान वर्ष में राज्य में 334 करोड़ रुपए का मौसम बीमा किसानों से कृषि विभाग ने संग्रहित किया है जबकि उसके एवज में मौसम बीमा के रूप में 188 करोड़ रुपए का खराब मौसम बीमा राशि का भुगतान किया है।
ग्राम तेलासी के किसान हेमंत बघेल ने जनता से रिश्ता से कहा कि कृषि विभाग किसानों से प्रति एकड़ 400 रुपए का मौसम बीमा जबरिया वसूलता है। उसके एवज में फसल खराब होने के बाद भी मात्र 4 हजार रुपए प्रतिएकड़ का मौसम बीमा का भुगतान करता है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि बीमा कंपनी  अनुबंध में अपनी सारी शर्तें पहले से ही लिख कर देती हैं, इस तरह किसानों को अपर्याप्त मौसम बीमा की योजना थमाई गई है। हेंमंत ने बताया कि वे एक एकड़ में 32 से 35 हजार की फसल लेते हैं। यह केवल खरीफ की फसल की कमाई है अगर रबी की फसल को जोड़ा जाए तो इतनी ही और राशि की फसल होती है। उन्होंंने कि इस आंकड़े को हैक्टेयर में बदलकर बताया (किसान एकड़ में आंकता है) कि किसान प्रतिहेक्टेयर  85 हजार की फसल उत्पादित करता है उसके खराब होने बाद भी उसे मात्र 10 हजार दिए जाते हैं इस तरह मौसम बीमा का कोई औचित्य ही नहीं है।
नरदहा के किसान जब्बार खान ने कहा कि इस योजना को शुरू करने से पहले हर 8 किलोमीटर में मौसम केन्द्र खोलने की बात कही गई थी परंतु उसका ठीक से पालन नहीं हुआ जिसके कारण कोई रिकार्ड विभाग के पास नहीं रहता है सब कुछ अंदाजी होता है। उन्होंने कहा कि फसल खराब होने के बाद भी किसानों की मांग के बावजूद मौसम बीमा की राशि का भुगतान नहीं होता है। उन्होंने शिकायत की कि पिछले वर्ष नरदहा की फसल बरबाद हो गई थी बहुत मांग करने के बाद भी कुछ नहीं हुआ । परंतु सरकार मौसम बीमा की रकम सीधे खाते से काट रही है। उनके अनुसार मौसम बीमा कराने का किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

मौसम बीमा से मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक असंतुष्ट
मौसम बीमा राज्य में पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रारंभ किया गया है इसमें कई तरह की त्रुटियां हैं इसको लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक असंतुष्ट हैं। किसानों का असंतुष्ट होना स्वाभाविक है परंतु भारत शासन स्तर पर चर्चा शुरू हो गई है भविष्य में इस योजना में सुधार होंगे।
प्रताप कृदत्त
संचालक,कृषि
 

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