Tuesday, 21 April 2015

किसानों को कैसे मिले मनोरंजन के साथ सूचनाएं


0 8 साल से रेडियोस्टेशन बंद, अधिकारी खानापूर्ति कर भूले
0 वैकल्पिक व्यवस्था के लिए नहीं हुई पहल
रायपुर। इंदिरागांधी कृषि विश्वविद्यालय का रेडियो स्टेशन अपने जन्म के बाद बिना छ_ी मनाए ही बंद हो गया। अधिकारियों ने फाइल चलाई और मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। अब कृषि विश्वविद्यालय के पास सिर्फ लकदक स्टूडियो है परंतु एंटीना की गड़बड़ी के कारण रेडियो स्टेशन से प्रसारण नहीं हो रहा है और किसानों को सर्व सुलभा साधन रेडियो के माध्यम से कृषि संबंधी जानकारी प्राप्त नहीं हो पा रही है।
आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आठ साल पहले मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह के मुख्यआतिथ्य में इंदिरागांधी कृषि विश्वविद्यालय ने केन्द्र प्रवर्तित योजना के तहत एफएम रेडियो-स्टेशन उद्घाटित करवाया था। रेडियो स्टेशन के उद्घाटन के ठीक छठवें दिन ही स्टेशन के एंटीना में गड़बड़ी आने के कारण रेडियो स्टेशन बंद हो गया। प्रभारी अधिकारियों ने फाइल चलाकर खानापूर्ति की और मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। सूत्र बताते हैं कि इस रेडियो स्टेशन से शहरी तथा ग्रामीण किसान भाइयों के लिए कार्यक्रम तैयार किए जाने थे जिसमें स्वस्थ्य मनोरंजन के साथ कृषि संबंधी सूचनाएं किसान भाइयों को दी जानी थी। इस रेडियो स्टेशन को किसान भाइयों के लिए दिन भर चलाने की योजना थी इसके लिए कृषि विभाग ने बाकायदा कार्यक्रम भी तैयार कर लिए थे और आगे भी कार्यक्रम बनाने की तैयारी थी। लेकिन रेडिये स्टेशन के बंद होने से उसके प्रोग्राम स्टूडियों में धूल खाते पड़े हैं।  
देश में आज रेडियो की ताकत को फिर से पहचान मिली है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रेडियो की ताकत को पहचान कर ही मन की बात शुरू की है। परंतु राजधानी में किसान भाइयों के लिए लगाए गए रेडियो स्टेशन को पुनर्जीवित करने की किसी को फिक्र्र नहीं है। जानकारों का कहना है कि विश्वविद्यालय में बने स्टूडियो में कार्यक्रम बना कर इसे आकाशवाणी के माध्यम से प्रसारित किया जा सकता था परंतु सरकारी समन्वय के अभाव में इसे चालू नहीं किया जा सका है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय तथा कृषि विभाग इस महत्वपूर्ण संसाधन का उपयोग न करके किसानों तक सूचना पहुंचाने के लिए अत्याधुनिक मोबाइल एसएमएस सेवा का उपयोग कर रहा है जिसकी कि गांव में पहुंच ज्यादा नहीं है।

प्रयास कर थक चुके
हम खुद चाहते हैं कि यह सेवा चालू हो लेकिन इसके संबंध में लगाने वाली एजेंसी से बहुत लिखा पढ़ी करने के बाद भी कोई हल नहीं निकला। इसके अलावा हमने आकाशवाणी से भी चर्चा की लेकिन कोई लाभदायक बातचीत नहीं हो पाई इसलिए हताश होकर हम चुप बैठ गए।
डा.एन.पी.ठाकुर
रेडियो स्टेशन प्रभारी
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

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